Mamta Kulkarni का इस्तीफा नामंजूर, 2 दिन बाद दोबारा फिर महामंडलेश्वर बनीं
Mamta Kulkani : बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने हाल ही में महाकुंभ में महामंडलेश्वर का पद दोबारा ग्रहण करने की घोषणा की। यह कदम उनके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले यह पद विवादों का कारण बन चुका था। 10 फरवरी को ममता कुलकर्णी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि उन्हें महामंडलेश्वर का पद फिर से सौंपा गया है। वीडियो में ममता ने इसके पीछे के कारणों और अपने गुरु का आभार व्यक्त किया।
इस्तीफे के बाद की विवादित स्थिति
ममता कुलकर्णी ने पहले इस्तीफा देने का निर्णय लिया था, जब कुछ लोगों ने उनके गुरु स्वामी डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर झूठे आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि वह 25 साल से एक साध्वी की तरह जीवन जी रही हैं और हमेशा इसी जीवन पथ पर चलेंगी। इसके बाद महामंडलेश्वर का पद उन पर भारी पड़ने लगा था, जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
ममता का गुरु स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का समर्थन
ममता कुलकर्णी ने वीडियो में बताया कि उनके गुरु स्वामी डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का समर्थन उन्हें फिर से यह पद मिलने में मददगार साबित हुआ। उन्होंने कहा कि यह उनके गुरु के आशीर्वाद का परिणाम है कि उन्हें पुनः महामंडलेश्वर का पद सौंपा गया।किन्नर अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने पहले यह स्पष्ट किया था कि ममता कुलकर्णी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था। इस पर ममता ने भी अब पुष्टि की है और बताया कि उनका इस्तीफा केवल एक विचार था, लेकिन गुरु के आशीर्वाद से उनकी वापसी हो गई है।
पद का दान और भंडारे के लिए दिया गया पैसा
ममता कुलकर्णी ने बताया कि महामंडलेश्वर बनने के बाद उन्होंने अपने गुरु को छत्र, छड़ी और चंवर भेंट दी थी। इसके अलावा, उन्होंने भंडारे के लिए बाकी का पैसा दान किया था। उनका यह कदम उनके समर्पण और गुरु के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है।ममता कुलकर्णी के इस फैसले पर समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग उनके इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कुछ ने इसे आलोचना का विषय बनाया है। इस मुद्दे ने एक बार फिर से किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म से जुड़ी चर्चाओं को हवा दी है।
किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म के प्रति समर्पण
ममता कुलकर्णी ने यह स्पष्ट किया कि वह अपना जीवन किन्नर अखाड़ा और सनातन धर्म के लिए समर्पित करेंगी। उनका यह कदम उनके आध्यात्मिक समर्पण को दर्शाता है, जो उन्होंने पिछले 25 वर्षों में साध्वी की तरह तपस्या करते हुए किया है। यह पूरा घटनाक्रम ममता कुलकर्णी के जीवन में एक नया मोड़ लेकर आया है, और उनके इस फैसले से किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म के प्रति उनके समर्पण को लेकर समाज में और चर्चाएं होंगी।
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