Mahakumbh 2025: महाकुंभ में दोनों आंखों पर पट्टी बांध लड़की ने की चित्रकला, बोली- मेरी तीसरी आंख है…

Mahakumbh 2025: बिहार के दरभंगा की रहने वाली मोनिका और उनकी बहन प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को लेकर एक अद्भुत पेंटिंग श्रृंखला बना रही हैं। यह पेंटिंग श्रृंखला महाकुंभ के महत्व और भगवान से जुड़ने के उनके अनुभवों को दर्शाती है। खास बात यह है कि मोनिका अपनी पेंटिंग्स को आंख पर पट्टी बांधकर बना रही हैं, जिससे उनका समर्पण और श्रद्धा साफ तौर पर झलकती है।

मोनिका का अनुभव और महाकुंभ का महत्व

मोनिका ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि महाकुंभ 144 साल बाद आयोजित हो रहा है, और यह एक अमृत पल है, जो हमारे जीवन में फिर कभी नहीं आएगा। उनका कहना था कि महाकुंभ का यह अवसर उनके लिए विशेष है, और वह इसके महत्व को पेंटिंग के माध्यम से उजागर करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “महादेव की पेंटिंग बनाकर हम यह दिखाना चाहते हैं कि महाकुंभ हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है।” मोनिका ने यह भी बताया कि इससे पहले अयोध्या में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के समय भी उन्होंने पेंटिंग बनाई थी।

 

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पेंटिंग के प्रति समर्पण और परिवार का सहयोग

मोनिका मिडल क्लास परिवार से आती हैं और दरभंगा जिले की मूल निवासी हैं। उनके परिवार के सभी सदस्य पेंटिंग के काम में हाथ बटाते हैं। मोनिका की बहन ने बताया कि उनका परिवार पेंटिंग बनाने के काम में बहुत सक्रिय है। मोनिका के परिवार में भाई, बहन और मां सभी पेंटिंग बनाने का काम करते हैं। इसके अलावा, मोनिका एक अकेडमी भी चलाती हैं, जहां वह लोगों को पेंटिंग सिखाती हैं।मोनिका की बहन ने आगे कहा, “हम महाकुंभ की श्रृंखला को लेकर पेंटिंग बना रहे हैं। पहली पेंटिंग हमारी अमृत कलश को लेकर है। इससे पहले राम जी की प्राण प्रतिष्ठा की पेंटिंग बनाई थी। भगवान से जुड़ना बहुत अच्छा लगता है। जब हम पेंटिंग बना रहे होते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे हम भगवान से बात कर रहे होते हैं।”

आंख पर पट्टी बांधकर पेंटिंग बनाना

मोनिका ने यह भी बताया कि वह अपनी पेंटिंग को आंख पर पट्टी बांधकर बनाती हैं, जो उनके समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। उनकी बहन ने कहा, “मोनिका पर भगवान की असीम कृपा है, क्योंकि वह आंख पर पट्टी बांधकर पेंटिंग बनाती हैं। यह कार्य हम 15 साल से कर रहे हैं, और हमें इससे जो शांति और संतुष्टि मिलती है, वह अवर्णनीय है।”

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निष्कलंक समर्पण और कला का संगम

मोनिका और उनकी बहन की कला सिर्फ एक पेंटिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भगवान के प्रति उनके समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है। महाकुंभ पर बनाई जा रही उनकी पेंटिंग्स न केवल धार्मिक महत्व को दिखाती हैं, बल्कि यह उनकी कला और आस्था का भी अद्भुत मेल है। इस काम को कर वे न केवल कला के क्षेत्र में अपना नाम बना रही हैं, बल्कि लोगों को भगवान से जुड़ने का एक नया तरीका भी दिखा रही हैं।मोनिका और उनकी बहन का यह समर्पण और कला का संगम निश्चित रूप से प्रेरणादायक है और यह साबित करता है कि जब कला और श्रद्धा का मिलाजुला रूप होता है, तो उसका असर न केवल कलाकार पर बल्कि समाज पर भी गहरा पड़ता है।